Wednesday 23 January, 2013

तार बिजली से पतले हमारे पिया

आजकल गैंग्स ऑफ़ वासेपुर-2 का ये गाना सुन रहा हूँ, महिला संगीत सा लगने वाला ये गाना अंत तक पहुँचते पहुँचते राजनीतिक पुट ले लेता है।गाया है पदमश्री  शारदा सिन्हा जी ने , संगीत है प्रतिभाशाली युवा संगीतकार स्नेहा खानवलकर का , बोल लिखे हैं  वरुण ग्रोवर ने।


गाना सुनने के लिए क्लिक करें 

Thursday 17 January, 2013

होली , पापा और बाबाजी

होली 
कुमाँऊं , खासकर काली कुमाँऊं का खास त्यौहार होली, मेरा प्रिय त्यौहार  है। होली की मस्ती में झूमा पहाड़ , दोपहर से लेकर शाम तक खड़ी होली, रात में बैठक होली, चार से पांच दिन का सामूहिक महोत्सव जिसमें बूढे से लेकर बच्चा शामिल होता है, ये हैं मेरी होली की यादें। और ये मेरी  बचपन  की सबसे अच्छी यादों में से एक है। हर चिंता , खासकर मम्मी की डांट भूलकर पांच दिन तक एक अलग ही दुनिया में खो जाना अच्छा लगता था और आज भी लगता है की उन दिनों में वापस चले जाऊं। 


पापा 
पापा 
 चम्पावत और उसके आस पास के क्षेत्रों  में दिन भर खड़ी होली में झूमने के बाद, देर रात तक बैठक होली का आयोजन होता है। हारमोनियम और तबले  की संगत में गायी जाने वाली बैठक होली अनेक रागों का मिश्रण होती है। बैठक होली की यादें पिताजी के साथ जुडी  हैं। प्रायः शांत रहने वाले पिताजी जब तबले  के साथ  होली गाते हैं, बड़ा अदभुत  अनुभव होता है। होलिओं में पापा देर रात तक वयस्त रहते हैं, जगह - जगह  होली  बैठकों में। इस पोस्ट में उनकी एक प्रिय होली का विडियो भी लगा रहा हूँ , जो बाबाजी ने गाया है।


बाबाजी 
गंधर्व गिरी महाराज जी से कभी मिला भी नहीं हूँ  और व्यक्तिगत रूप से जानता  भी नहीं हूँ। उनकी गायी हुई होली बहुत पसंद आई थीं , उन्हें यहाँ लगा रहा हूँ।करीब एक साल पहले ये विडियो YouTube में देखे थे, जो कि  श्री हिमांशु पन्त और श्री  पी जोशी ने अपलोड किये हैं।  




पापा की प्रिय होली ,बाबाजी की आवाज में 


साभार: YouTube