आज पहली चौपाल में प्रस्तुत कर रहा हूँ अपनी एक तुकबंदी , जो कभी मैंने अपने एक मित्र को निराश देखकर लिखी थी ..
क्या हुआ जो तू हार गया
इस दौड़ में बन्दे ,
दौड़ने के मौके अभी कई
और मिलेंगे
क्यों है तू निराश बन्दे,
क्यों होता उदास बन्दे
जो बीता सो बीता
अब आज को संवार बन्दे.
जो था नहीं मुक्कदर में,
उसके लिए क्यों आंसू बहाना
अब के नहीं तुझे भटकना
बस है चलते ही जाना
क्या हुआ इस बार तू
जो चूक गया बन्दे,
जीतने के मौके अभी
कई और मिलेंगे.
और मिलेंगे
क्यों है तू निराश बन्दे,
क्यों होता उदास बन्दे
जो बीता सो बीता
अब आज को संवार बन्दे.
जो था नहीं मुक्कदर में,
उसके लिए क्यों आंसू बहाना
अब के नहीं तुझे भटकना
बस है चलते ही जाना
क्या हुआ इस बार तू
जो चूक गया बन्दे,
जीतने के मौके अभी
कई और मिलेंगे.
batao kaise bannaye
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